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श्रीजन परियोजनाः किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेतों में उतरेंगे पावर टिलर

  • मानवभारती के अध्यक्ष रजत मिश्रा ने ग्रामीणों को बांटे पावर टिलर और थ्रेसर
  • रुद्रप्रयाग के दस गांवों में चल रही गेल इंडिया से वित्त पोषित श्रीजन परियोजना
  • 200 परिवारों को दी गई सोलर लालटेन, दस गांवों के लिए सोलर स्ट्रीट लाइट और संगीत उपकरण

रुद्रप्रयाग। गेल इंडिया से वित्त पोषित श्रीजन परियोजना ने पावर टिलर व थ्रेसर उपलब्ध कराए तो ग्रामीण खुश हो गए। ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए आटोमैटिक वूलन गारमेंट मशीन का भी लोकार्पण किया गया। आपदा प्रभावित गांवों के लिए सोलर लालटेन, सोलर स्ट्रीट लाइट, संगीत उपकरण बांटे गए। इस मौके पर श्रीजन परियोजना की कार्यदायी संस्था मानवभारती सोसाइटी के अध्यक्ष रजत मिश्रा ने कहा कि श्रीजन परियोजना का उद्देश्य ग्रामीणों को हर वो संसाधन और सहयोग उपलब्ध कराना है, जो उनको आत्मनिर्भर बना सके। हम स्थानीय संसाधनों से ही स्वरोजगार के विकल्पों को विकसित करना चाहते हैं, खासकर पर्यावरण संतुलन व जैवविविधता को बनाए रखना हमारी प्रतिबद्धता है।

सीआरटीसी संसारी में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि रजत मिश्रा ने ग्रामीणों को कृषि यंत्र तथा अन्य संसाधन वितरित किए। उन्होंने कहा कि पहाड़ के सीढ़ीदार खेतों में भारी कृषियंत्रों को ले जाना आसान नहीं है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए श्रीजन परियोजना ने कृषि को आसान बनाने वाले उपकरण  उपलब्ध कराए हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण इन कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार के जरिये स्वयं को सक्षम बनाएं, किसी पर निर्भर न हों। बेटियों को शिक्षित बनाने पर जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का आह्वान किया।

मानवभारती के निदेशक डॉ. हिमांशु शेखर ने कहा कि गेल इंडिया के वित्तीय सहयोग से मानवभारती सोसाइटी रुद्रप्रयाग जिले के दस गांवों में श्रीजन परियोजना का संचालन कर रही है। 2013 की आपदा से प्रभावित परिवारों के स्थाई पुनर्वास के लिए दीर्घगामी परियोजना की जरूरत थी। स्थाई पुनर्वास का मतलब केवल रहने के लिए जगह और आवास तक ही सीमित नहीं है, यह बहुआयामी है। हम पर्यावरण से तालमेल बनाते हुए स्थानीय संसाधनों पर आधारित आजीविका का एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे, जिसकी हर गांव और हर व्यक्ति तक आसान पहुंच हो। साढ़े चार साल से चल रही श्रीजन परियोजना अपने उद्देश्य में सफल हुई है। उन्होंने श्रीजन परियोजना के तहत मिले संसाधनों का उपयोग करने तथा आत्मनिर्भर होने का आह्वान किया। कहा कि आपकी उन्नति हमारे लिए खुशी की बात है।

समारोह में संसारी वन पंचायत के सरपंच गजपाल सिंह रावत ने परियोजना के साढ़े चार साल के सफर की जानकारी देते हुए कहा कि ग्रामीणों खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर होने में काफी सहयोग मिला है। सोलर लैंप बरसात में काफी उपयोगी साबित होंगे।वहीं कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से विषय परिस्थितियों में भी कृषि करना आसान होगा। श्रीजन परियोजना के स्वयं सहायता समूहों का ग्रामीणों की तरक्की में बड़ा योगदान है।

इस मौके पर संसारी, त्यूड़ी, खुमेरा, गिंवाला, बुडोली, बुटोलगांव और भीरी के स्वयं सहायता समूहों को संगीत उपकरण दिए गए। संसारी, लावड़ी, बांसवाड़ा को दो- दो, त्यूड़ी, भीरी, पाट्यौ, गिंवाला को एक-एक स्ट्रीट लाइट दी गई। इसके साथ ही बुटोलगांव, भीरी, डमार, गिंवाला तथा त्यूड़ी, संसारी, बणसू, खुमेरा, बुडोली, पाट्यौ के 200 बीपीएल परिवारों को सोलर लालटेन बांटी गई। वहीं ऊखीमठ, जखोली और अगत्स्यमुनि ब्लाक के स्वयं सहायता समूहों को एक-एक पावर टिलर, थ्रेसर तथा अन्य कृषि यंत्र दिए गए।

समारोह में संसारी के भूमियाल व मंदाकिनी स्वयं सहायता समूह, त्यूड़ी के नरसिंह व आरती स्वयं सहायता समूह, खुमेरा के सिंह भवानी, राजराजेश्वरी व जाखराजा स्वयं सहायता समूह, बणसू के जाखराजा और जाखधार स्वयं सहायता समूह, गिंवाला के जय अंबे मां व जय दुर्गा मां स्वयं सहायता समूह, बुटोल गांव के जय दुर्गा भवानी व हरियाली स्वयं सहायता समूह, भीरी के मंदाकिनी इच्छुक कृषक समूह, डमार के भैरवनाथ स्वयं सहायता समूह, बुडोली के कुश्मांडा व क्षेत्रपाल स्वयं सहायता समूह, पाट्यौ के अगस्त्य ऋषि स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे। समारोह का संचालन श्रीजन कार्यकर्ता हिकमत सिंह रावत ने किया। इस अवसर पर ग्राम  प्रधान बीना देवी, कविता देवी, कुंवर सिंह नेगी, रघुवीर सिंह, लखपत सिंह, सती देवी, सरपंच युद्धवीर सिंह, राम सिंह, क्षेत्रपंचायत सदस्य चंद्रकला देवी आदि उपस्थित रहे।

वूलन गारमेंट मशीन का लोकार्पण

रुद्रप्रयाग। मानवभारती संस्था के अध्यक्ष रजत मिश्रा ने आटोमैटिक वूलन गारमेंट मशीन का लोकार्पण किया। श्रीजन परियोजना की समन्वयक साहिस्ता खान ने बताया कि महिलाओं को आटोमैटिक वूलन गारमेंट मशीन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस मशीन से स्वेटर, टीशर्ट और अन्य वस्त्र बनाए जाएंगे। ग्रामीण प्रशिक्षण हासिल करके रोजगार हासिल कर सकेंगे।

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