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Disaster Management

श्रीजन पशुपालन : मुझे निराशा से बाहर निकाला श्रीजन ने

 ” अब मेरे परिवार की सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं। बच्चों की स्कूल फीस समय पर जमा हो रही है और कुछ पैसा बचत भी कर पा रहे हैं। मैं खुद को आत्मनिर्भर महसूस करती हूं और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि मैं घर का खर्चा चलाने में पति की मदद कर रही हूं। मेरा आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ा है। इसके लिए श्रीजन टीम का दिल से आभार जताती हूं, जिसने मुझे आजीविका चलाने में मदद की और सही रास्ता दिखाया। ” ये भी पढ़ें- श्रीजन परियोजनाः चुनौतियां थीं पर हौसला नहीं खोया

 यह बात मालदेई देवी की हैजो रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लाक स्थित बुटोलगांव में रहती हैं। 2013 की आपदा में मालदेई देवी की खेती की अधिकांश जमीन बाढ़ में बह गई थी। पांच सदस्यों वाला परिवारजिसमें पतिसास और दो बच्चे हैंके सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया। उनका परिवार बेघर हो गया था और सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो गई थीं। उनके सामने सिर्फ और सिर्फ निराशा बची थी। लेकिन एक बात जो मालदेई देवी को नई जिंदगी की शुरुआत के लिए प्रेरित कर रही थीवो थी उनकी हिम्मत और संघर्ष के दौर में हार नहीं मानने वाले प्रवृत्ति। विपरित परिस्थितियों से मालदेई देवी जरा भी प्रभावित नहीं हुईं। वहीं मानव भारती सोसाइटी की श्रीजन परियोजना ने हर कदम पर उनको सहयोग किया। ये भी पढ़ें-  श्रीजन आवासःअब भूकंप से भी खतरा नहीं

उन्होंने परिवार के सहयोग से पशुपालन औऱ सब्जियों की खेती शुरू की। श्रीजन परियोजना की टीम ने उनको कंपोस्ट और कंपोस्ट पिट बनाने की ट्रेनिंग दी और उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराए। मालदेई देवी को उन्नत नस्ल की हाइब्रिड गाय उपलब्ध कराई। श्रीजन का सहयोग और उनकी मेहनत रंग लाए। मालदेई देवी रोजाना 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 14 किलो दूध बेच रही हैं। ये भी पढ़ें-   रुद्रप्रयाग में श्रीजन परियोजना का पहला कदम

सभी संसाधनों से उनको हर माह लगभग सात से आठ हजार रुपये का लाभ प्राप्त होता है। आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से उनकी गाय का तीन साल का बीमा भी श्रीजन परियोजना ने कराया। मालदेई देवी बताती हैं कि गाय खूब दूध देती है और दूध के पैसों से मैंने भैंस भी खरीद ली है। मैंने पशुपालन से अपने परिवार की सभी जरूरतें पूरी कीं। मैं बहुत खुश हूं।  ये भी पढ़ें- श्रीजन एसएचजीः आपदा के अंधेरे में रोशनी बन गए ये समूह

 श्रीजन परियोजना की मदद से आजीविका चलाने वालों में केवल मालदेई देवी ही नहींकई और ग्रामीण भी हैं। जो श्रीजन के प्रयासों और मदद के लिए आभार करना नहीं भूलते। उनका कहना है कि श्रीजन की पहल से उनको जीने के लिए नई दिशा मिली है और आजीविका चलाने में बड़ी मदद मिली है।  ये भी पढ़ें-  श्रीजन काउंसलिंगः जेहन में दबा दर्द बाहर निकला