A CSR Initiative of GAIL (India) Limited
Disaster Management

श्रीजन परियोजनाः आपदा से बचाए सावधानी और सतर्कता

6 फरवरी, 2017 की रात 10:35 बजे आए भूकंप ने एक बार फिर उत्तराखंड को हिला दिया। 5.8 मैग्नीट्यूड के इस भूकंप का केंद्र वहीं इलाका था, जहां श्रीजन परियोजना काम कर रही है। भूकंप से सभी घबरा रहे थे। लोग घरों से बाहर निकल आए थे। एक बार लगा कि फिर किसी बड़ी आपदा से जूझेगा पहाड़। रुद्रप्रयाग के त्यूड़ी गांव की गीता बताती हैं कि मॉक ड़्रिल का हमें बहुत फायदा हुआ। पर्सनल मुझे तो बड़ा लाभ पहुंचा। 6 फरवरी के भूकंप के समय हम सो रखे थे। भूकंप के झटकों से मैं बहुत घबरा गई थी। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मुझे मानवभारती, गेल इंडिया की उस ट्रेनिंग की याद आ गई, जो हमें भूकंप से बचने के लिए दी गई थी, जिसमें बताया गया था कि कमरे से बाहर बच्चों को कैसे ले जाऊं और अंदर रहें तो कैसे रहें। मैं दोनों बच्चों को लेकर घर के दरवाजे पर खड़ी ही हुई थी कि भूकंप का एक झटका और आ गया। मुझे उसी वक्त याद आया कि मेरे बच्चे जहां खड़े हैं, वहां ऊपर रैक में भारी अटैचियां रखी हैं। हमें ट्रेनिंग में बताया गया था कि रैक में कोई सामान न रखें। मैंने तुरंत देखा तो अटैचियां आधी से ज्यादा खिसक रही थीं। मैंने तुरंत अटैचियों को हटा दिया, नहीं तो ये मेरे बच्चों के ऊपर गिर जातीं। इसके बाद भूकंप के कई झटके आए, लेकिन मैं सतर्क थी, इसलिए मेरा और परिवार का कुछ नहीं बिगड़ने वाला था। ट्रेनिंग से मिले फायदे के लिए एक बार फिर गेल इंडिया का धन्यवाद।

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गीता जैसे ही एक हजार से ज्यादा लोगों को ऐसे कई उपाय गांव-गांव जाकर ट्रेनिंग, वर्कशॉप, नुक्कड़ नाटकों, कठपुतली शो, पंफलेट्स के जरिये बताए गए। ग्रामीणों को सूचना, शिक्षा और संवाद के जरिये जागरूक किया गया। मॉक ड्रिल के जरिए बताया कि आपदा के समय सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए। श्रीजन ने जागरूकता को डिजास्टर मैनेजमेंट का सबसे जरूरी हिस्सा मानते हुए 2013 की आपदा से प्रभावित परिवारों से संवाद बनाया है। लोग यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि आपदा के बाद पुनर्वास को स्थाई बनाए रखने में भी जागरूकता का अहम योगदान होता है। आपदा की वजह और इसकी रोकथाम के लिए सतर्कता और इससे निपटते समय सावधानियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। भूकंप, भूस्खलन या बाढ़ ही नहीं बल्कि किसी भी हादसे में जीवन रक्षा करना सभी को आना चाहिए।

त्यूड़ी गांव की सरिता देवी ने बताया कि महिलाएं चारे के लिए खेतों और जंगलों में जाती रही हैं। अगर कोई महिला पेड़ या चट्टान से गिरकर घायल हो जाती है तो साथ की अन्य महिलाएं मदद करती हैं। अब महिलाओं को पता है कि घायल को किस तरह घर तक लाना है। वो स्कार्फ से स्ट्रेचर बनाना सीख गई हैं। यह सब मॉक ड्रिल में सीखने को मिला। पहले उनको मालूम नहीं था कि घायल को किस अवस्था में लेटाकर घर या अस्पताल पहुंचाना होता है।

कठपुतली शोः मनोरंजन के साथ जागरूकता का संदेश

मशहूर कठपुतली कलाकार रामजी लाल रुद्रप्रयाग के आपदा प्रभावित गांवों में घूम रहे हैं। अजमेर के रामजी लाल वर्षों से कठपुतली शो के जरिये विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता का संदेश देते हैं। इंग्लैंड और नार्वे में भी उनके शो खूब देखे गए हैं। गेल इंडिया के सहयोग से मानवभारती संस्था ने उनको आपदा वाले इलाकों में बुलाया है। आज बणसूं में रामजी लाल को पपेट शो करना है। बणसूं के लोग गांव के प्राइमरी स्कूल परिसर में पहुंच रहे हैं। थोड़ी ही देर में शो शुरू हो गया और कठपुतलियों के जरिये ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि आपदा से बचाव के तरीके बताए गए और सतर्क रहने की अपील की गई। जीवन सुरक्षा के लिए छोटे –छोटे उपाय बताए गए। रामजी लाल और उनके साथी कलाकार यह सभी मनोरंजक तरीके से बता रहे हैं।

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सामाजिक जागरूकता अभियान

श्रीजन परियोजना ने वालियंटियर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से ग्रामीणों को उनके मुद्दों पर जागरूक करने के लिए अभियान चलाए। ग्रामीणों ने अपने इश्यु को लेकर परियोजना में उत्साह से भागीदारी की। यह परियोजना पूरी तरह ग्रामीणों की सहभागिता पर संचालित की गई। पंचायतीराज संस्थाओं और ग्रामीणों को मजबूती देकर उन जरूरतों औऱ मुद्दों पर फोकस किया गया, जिनसे स्थानीय निवासी खासकर आपदा प्रभावित, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जूझ रहे थे। श्रीजन ने क्षमता विकास के लिए लोगों को संवेदनशील बनाने, प्रेरित करने, सामाजिक रूप से मजबूत बनाने, विकास के लिए प्रबंधन और आर्थिक गतिविधियों पर जोर दिया, ताकि वो पर्यावरण, स्थाई विकास, पुनर्वास, पशुपालन से जुड़े मुद्दों पर जागरूक होकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।

सूचनाएं साझा करने के लिए प्लेटफार्म 

जागरूकता और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए डिजीटल तकनीकी को भी भरपूर इस्तेमाल किया। मौसम विभाग से मिले पूर्वानुमान को एफएम और रेडियो पर प्रसारित किया जाएगा। मौसम की सूचना ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए मोबाइल एसएमएस सेवा के भी प्रयास किए जा रहे हैं। मानवभारती संस्था ने सूचनाएं साझा करने के लिए नियमित रूप से एन्वायरन्मेंट रिपोर्ट का प्रकाशन किया। जल्द ही सीआरटीसी संसारी में सूचनाओं के विश्लेषण और प्रसार के लिए केंद्र स्थापित किया जाएगा।

  • 11 मॉक ड्रिल कराए गए आपदा प्रभावित गांवों में
  • 1000 लोगों को आपदा को लेकर जागरूक किया गया
  • 24 घंटे सूचनाओं और सेवाओं के लिए टोल फ्री नंबर 1800-2700-231 खोला गया

आपदा प्रहरी एप

श्रीजन परियोजना ने आपदा, मौसम सहित अन्य सूचनाओं को स्थानीय निवासियों और संबंधित विभागों से साझा करने के लिए आपदा प्रहरी एप लांच किया। इसके जरिये स्थानीय लोग राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा अन्य संबंधित विभागों को तत्काल सूचनाएं भेज सकते हैं, ताकि समय से राहत कार्यों को शुरू किया जा सके। इससे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मैसेज कर सकते हैं। इस एप को साइन अप करके आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। सूचनाओं और मौके की स्थिति को गवर्नमेंट अथॉरिटी को फोटोग्राफ, ऑडियो मैसेज व वीडियो भेज सकते हैं।

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आपदा प्रहरी एप से रोड सेफ्टी और सामान्य नागरिक सेवाओं के संदेश भी प्रसारित किए जा सकते हैं। यह पुलिस, परिवहन विभाग, सामान्य प्रशासन से की जाने वाली शिकायतों और इन विभागों की ओर से नागरिकों को भेजे जाने वाले संदेशों का भी आदान प्रदान कर सकता है। इस एप पर किसी भी तरह के डिजास्टर से संबंधित सूचनाएं, जानकारियां उपलब्ध हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान का हाल और चेतावनी भी इस पर जारी हो रही हैं। वहीं श्रीजन परियोजना की टीम आपदा के समय मिलने वाली सूचनाओं, समस्याओं और शिकायतों का डेटा बैंक बना रही है, ताकि आपदा के दौरान राहत कार्यों में सतर्कता और गाइडेंस पर गौर किया जा सके।

इस मोबाइल एप को आपदा प्रबंधन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में सूचनाओं को आसानी से प्रसारित किया जा सके। खासकर मौसम के पूर्वानुमान, चेतावनी,  ट्रैफिक और अन्य सेवाओं संबंधी कंप्लेंट के लिए यह शानदार एप है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सभी तरह की आपदा में वन स्टॉप सोल्युशन साबित होगा। यह मौसम विभाग, ट्रैफिक पुलिस, एंबुलेंस, फायर सर्विस, लोक निर्माण विभाग, रिवर बेसिन अथॉरिटी से लिंक किया गया है, ताकि लोग सूचनाएं और शिकायतें दर्ज करा सकें और विभागों से अलर्ट और जानकारियां मिल जाएं।- आपदा प्रहरी एप पर दिल्ली विश्वविद्यालय की इंडिपेंडेंट एसेसमेंट रिपोर्ट की एक टिप्पणी