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Disaster Management

रुद्रप्रयाग में श्रीजन परियोजना का पहला कदम

शुरुआत में श्रीजन परियोजना में रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ और जखोली ब्लाकों के दस-दस यानि 30 गांव शामिल किए गए। जनभागीदारी से किए गए फील्ड सर्वे के नतीजों के अनुसार अगस्त्यमुनि के दस, ऊखीमठ के 15 और जखोली के पांच गांवों में परियोजना संचालित की गई। मार्च, 2014 की शुरुआत में श्रीजन परियोजना ने बेस लाइन सर्वे से मिली सूचनाओं के आधार पर काम शुरू कर दिया। वर्तमान में मुख्य रूप से दस गांवों में परियोजना चल रही है। अन्य 20 गांवों में भी कुछ गतिविधियां हो रही हैं। 

इन गांवों में शुरू हुई परियोजना

ऊखीमठ ब्लाक- संसारी, त्यूड़ी, भैंसारी, बणसू, पठाली, किमाणा, डुंगर, सेमला, चुन्नी, मंगोली, खुमेरा, देवर, रुद्रपुर, बेडुला, कुणजेठी। अगस्त्यमुनि ब्लाक- कुंड, वीरो, भटवाड़ी सुनार, भीरी, गिंवाला, रान्यासू, नैली, बुटोलगांव, डमार, बष्टी। जखोली- बुडोली, पाट्यौ, किरोड़ा, जैली, डोभा। वर्तमान में श्रीजन परियोजना दस गांवों ( संसारी, त्यूड़ी, बणसू, खुमेरा, भीरी, गिंवाला, बुटोलगांव, डमार, बुडोली, पाट्यौ में संचालित की जा रही है।) 

बेस लाइन सर्वे- रुद्रप्रयाग जिले के 30 गांवों के 14 हजार लोगों का बेस लाइन सर्वे किया गया। इसके लिए पार्टिशिपेटरी रुरल अप्रैजल (पीआरए) तकनीकी अपनाई गई। आपदा में इन गांवों के कच्चे और पक्के मकान या तो पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे या फिर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे। परियोजना के कार्यकर्ताओं ने हर परिवार और व्यक्ति के बारे में डाटा एकत्रित किया , ताकि उन लोगों को चिह्नित किया जा सके, जिनको वास्तव में मदद की जरूरत थी।  ये सभी जानकारियां ग्राम प्रधान की मौजूदगी में हुए सर्वे और बैठकों में जुटाई गईं।  साथ ही हर गांव की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट भी तैयार की गई। फरवरी, 2014 तक सामाजिक- आर्थिक स्थिति, भौगोलिक क्षेत्रफल, आबादी, भूमि, श्रमिक, पशुपालन, कृषि, प्राकृतिक संसाधन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी सुविधाएं और अन्य सेवाएं, आपदा संबंधी जानकारियां जुटा ली गईं। 

श्रीजन कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए। Photo @ shrijanpariyojna

 कम्युनिटी रिसोर्स मैपिंगः श्रीजन परियोजना के प्रतिनिधियों ने परियोजना में शामिल किए गए सभी 30 गांवों में सामुदायिक कार्यों और संसाधनों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। ग्राम प्रधान की उपस्थिति में बुलाई गई ग्रामीणों की बैठक में उन लोगों का चयन किया गया, जिनको गांव के सामाजिक ताने बाने की अच्छी जानकारी थी। सामाजिक कार्यों में सेवाएं उपलब्ध कराने के इच्छुक लोगों की सूची बनाई गई। गांव में सिंचित और असिंचित भूमि, परिवारों, वनीय क्षेत्र, स्कूलों, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र की जानकारी ली गई, ताकि जरूरत पड़ने पर इनको ग्रामीणों की बेहतरी के लिए विकसित किया जा सके।

रिस्क मैपिंगः परियोजना में चयनित सभी 30 गांवों में श्रीजन कार्यकर्ताओं ने खुली बैठकों का आयोजन किया, जहां पार्टिशिपेटरी रुरल अप्रैजल (पीआरए) टेक्निक के इस्तेमाल से पता चला कि इन सभी गांवों पर आपदा का खतरा है। ये गांव आपदा के साये में हैं। इन गांवों में आपदा में हुई जनहानि की सूचना भी ली गई। ये भी पढ़ें- श्रीजन परियोजना : आपदा के अंधेरे से समृद्धि के उजाले की ओर…

गिंवाला गांव में श्रीजन कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में शामिल महिलाएं। Photo @ Shrijanpariyojna

 नीड एसेसमेंटः  सर्वे और भौतिक सत्यापन, समूहों की चर्चा और साक्षात्कार के जरिये उन लोगों का चयन किया गया, जो आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे और उनको सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत थी। हर गांव से ऐसे तीन प्रभावितों को चुना गया। इन परिवारों की जरूरतों को चिह्नित किया गया। इनकी आजीविका चलाने के लिए आवश्यक उपायों तथा आय के नये स्रोतों को प्लान किया गया। इनके लिए प्री फैब्रिकैटेड स्ट्रक्चर निर्माण, आर्गेनिक फार्मिंग पर भी ध्यान दिया गया। आपदा प्रभावित महिलाओं व युवाओं के लिए सिलाई, बुनाई, ब्यूटी पार्लर, कंप्यूटर ट्रेनिंग, हैंडीक्राफ्ट, बैकरी, ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग, बुरांश, माल्टा स्कवैश, जैम जैली, अचार प्रशिक्षण  सहित हरसंभव व्यावसायिक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए गए।